बिहार विश्वविद्यालयों में स्नातक सीटें फिर रहेंगी खाली
पटना: बिहार के विश्वविद्यालयों में इस सत्र भी स्नातक की सीटें खाली रह जाएंगी। विभिन्न कारणों से छात्रों का नामांकन कम हो रहा है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (एलएनएमयू) में स्नातक की साढ़े तीन लाख सीटों में से मात्र एक लाख 75 हजार आवेदन आए हैं और अब तक एक लाख नौ हजार सीटों पर ही नामांकन हुआ है। यहां दो लाख सीटें खाली रहने की संभावना है। पिछले वर्ष भी एक लाख से अधिक सीटें खाली रह गई थीं।
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में चार राउंड के बाद भी 60 हजार सीटें खाली हैं। यहां एक लाख 20 हजार सीटें हैं और अब स्पॉट राउंड से इन्हें भरने की तैयारी है। पिछले वर्ष 90 हजार तो इस साल 63 हजार नामांकन ही हुए हैं। पटना विश्वविद्यालय में भी तीन राउंड के बाद लगभग एक हजार सीटें रिक्त हैं।
आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है। यहां भी कई सीटें खाली रह जाएंगी। शिक्षाविद् और पूर्व कुलपति रासबिहारी सिंह के अनुसार, “राज्य के विश्वविद्यालयों की उदासीनता के कारण नामांकन पर असर पड़ रहा है। नियमित सत्र नहीं होने, समय पर परीक्षा और रिजल्ट न आने, और शिक्षकों की कमी जैसे कारणों से अच्छे अभिभावक अपने बच्चों को दूसरे राज्यों में भेज रहे हैं।”
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मगध विश्वविद्यालय में 50 हजार से अधिक सीटें रिक्त रह सकती हैं। पिछले साल यहां 70 हजार सीटें खाली थीं। मुंगेर विश्वविद्यालय के 30 अंगीभूत तथा संबद्ध कॉलेजों में स्नातक पार्ट वन में कुल 86038 सीटें हैं, जिनमें से अभी 50% सीटें खाली हैं। तिलका मांझी विश्वविद्यालय में भी 50% से अधिक सीटों पर दाखिला नहीं होता है और स्पॉट राउंड के बाद 60% तक ही नामांकन हो पाता है। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा में करीब 90 हजार सीटें हैं, जबकि नामांकन मात्र 50 हजार ही हुआ है।
विश्वविद्यालय प्रबंधन और कॉलेज संचालकों की परेशानी बढ़ती जा रही है। अधिकांश विषयों में छात्रों की कमी है, विशेषकर कला और विज्ञान के कई विषयों में। संबद्धता वाले कॉलेजों को इतनी सीटें उपलब्ध करा दी जाती हैं कि उन्हें भरना मुश्किल हो जाता है। इस उदासीनता के चलते सीटें खाली रह जा रही हैं और समय पर दाखिला, परीक्षा और रिजल्ट में भी कई प्रकार की गड़बड़ियां हो रही हैं।
– अभिषेक कुमार