होटल और रेस्तरां में खानपान बिल के साथ सर्विस चार्ज अथवा टिप्स वसूलने पर केंद्र सरकार ने सख्त नाराजगी जताई है। सर्विस चार्ज या टिप्स देना उपभोक्ता की इच्छा पर निर्भर करता है, जिसे वसूलना रेस्तरां का अधिकार नहीं है। केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रलय ने इस बाबत दो जून को नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन को चर्चा के लिए तलब किया है। इसके पूर्व मंत्रलय की ओर से चेतावनी के साथ निर्धारित गाइडलाइन पर अमल का निर्देश दिया गया था, जिसे नजरअंदाज करने वाले रेस्तरां और होटल संचालकों को कड़ा दंड भुगतना पड़ सकता है।
खानपान बिलों के साथ रेस्तरां में बिना किसी पूर्व सूचना के उपभोक्ताओं से सर्विस चार्ज भी धड़ल्ले से वसूला जा रहा है। इसका विरोध करना कई बार उपभोक्ताओं को भारी पड़ता है। नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पर इस तरह की शिकायतों की भरमार है। खानपान की सुविधा मुहैया कराने वाले होटलों और रेस्तरां के खिलाफ आने वाली शिकायतों की समीक्षा करने के बाद उपभोक्ता मंत्रलय के सचिव रोहित कुमार सिंह ने रेस्टोरेंट एसोसिएशन के राष्ट्रीय संगठन को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। उन्होंने रेस्तरां संचालकों को लिखे पत्र में विस्तार से बिल के साथ अवैध वसूली वाले सर्विस चार्ज का ब्योरा भी दिया है।
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मंत्रलय ने रेस्तरां संचालकों को 21 अप्रैल, 2017 को सर्विस चार्ज को लेकर तैयार की गई गाइडलाइन भी भेजी है। इसके मुताबिक उपभोक्ता से खानपान बिल के साथ सर्विस चार्ज (टिप) वसूलने पर पाबंदी लगाई गई है। बिल में दर्ज खाने पीने की चीजों के साथ नीचे जीएसटी और फिर आखिर में सीएस (सर्विस चार्ज) जोड़ा जा रहा है। इसकी दर विभिन्न रेस्तरां में अलग-अलग होती है, जो 10 प्रतिशत से लेकर 20 प्रतिशत तक होती है। इसके भुगतान करने के लिए ग्राहकों पर दबाव भी बनाया जाता है।
पूर्व में दी गई चेतावनी को नजरअंदाज करना संचालकों को पड़ सकता भारी
बिना सूचना दिए उपभोक्ताओं से धड़ल्ले से वसूला जा रहा पैसा
बिल में सर्विस चार्ज जोड़ना ही गलत
निर्धारित गाइडलाइन में रेस्तरां केमेनू कार्ड में दर्ज मूल्यों के साथ टैक्स की निर्धारित दरों को ही बिल में शामिल किया जा सकता है। ग्राहक अथवा उपभोक्ता की सहमति के बगैर इस बिल में और कुछ भी शामिल नहीं किया जा सकता है। उपभोक्ता इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकता है। दो जून को होने वाली बैठक में इन सारे मुद्दों पर रेस्टोरेंट एसोसिएशन से विस्तृत चर्चा की जाएगी।