भागलपुर में शहद आधारित उद्योग लगने की आपार संभावना है। यहां 13 वेरायटी के शहद तैयार हो रहे हैं। इस साल जिले में 90 टन लीची का शहद तैयार हुआ है। यहां के किसान पश्चिम बंगाल व झारखंड तक शहद उत्पादन के लिए बक्से लगा रहे हैं। जिस किसान के पास 50 बक्से हैं, उसे एक सीजन में डेढ़ लाख रुपये तक की आमदनी हो रही है। डाबर व पतंजलि जैसी कंपनियां यहां के किसानों से संपर्क में हैं।
यहां का शहद दिल्ली व बंगाल की कंपनी के माध्यम से विदेश तक भेजा जा रहा है। डाबर ने लीची उत्पादक किसान संजय कुमार चौधरी से संपर्क किया है। कंपनी के अधिकारी यहां आकर शहद का सैंपल ले गए हैं। अगर पसंद आ गया तो 50 टन से अधिक का आर्डर दिया जाएगा। पतंजलि को भी यहां से शहद उपलब्ध कराया गया है। भारी मात्र में उत्पादन को देखते हुए नव प्रवर्तन योजना के तहत बिहपुर में शहद का प्रोसेसिंग प्लांट लगाया गया है। किसान अब शहद की प्रोसेसिंग के लिए बाहर नहीं जा रहे हैं। भागलपुर हनी गोल्ड कंपनी के अध्यक्ष व प्रोसेसिंग प्लांट चला रहे प्रदीप सिंह ने बताया कि धीरे-धीरे स्थानीय शहद की मांग बढ़ रही है। प्रतिमाह तीन सौ किलो तक शहद स्थानीय बाजार में बिक रहा है।
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40 टन शहद भेजा गया दिल्ली :
अमरपुर-बिहपुर के संजय कुमार चौधरी ने बताया कि दिल्ली, कोलकाता आदि शहरों के बड़े व्यवसायी यहां आकर शहद की खरीद करते हैं। दिल्ली की कंपनी (इंडो-कैम) 40 टन शहद ले गई है। यह कंपनी बड़ी-बड़ी कंपनियों को शहद उपलब्ध कराती है। पिछले वर्ष कोलकाता के शहद कारोबारी व्यासउद्दीन ने शहद खरीदकर अमेरिका भेजा था।
बढ़ जाएगा उत्पादन :
अगले साल से शहद का उत्पादन बढ़ जाएगा। चार सौ जीविका कार्यकर्ताओं को उद्यान विभाग द्वारा मधुमक्खी पालन करने के लिए बक्से उपलब्ध कराए गए हैं। एक बक्से में 15 से 20 किलो शहद का उत्पादन सीजन में दो बार होता है। जीविका कार्यकर्ताओं को शहद उत्पादन को लेकर प्रशिक्षण भी दिया गया है।
दस करोड़ की लागत से लगेगा प्लांट :
जिले में शहद आधारित उद्योग लगेगा। बिहार कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति योजना (बीएआइपीपी) के तहत चार किसानों ने आवेदन किया है। किसानों को 25 लाख से पांच करोड़ रुपये तक का ऋण मिलेगा। इसमें 15 से 25 प्रतिशत तक की सब्सिडी मिलेगी। साथ ही किसानों से कम ब्याज लिया जाएगा और अनुबंध में भी छूट मिलेगी। इसके अलावा उद्योग व नाबार्ड से संबंधित योजनाओं का भी लाभ मिलेगा।