एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसले में, दिल्ली हाईकोर्ट ने शिक्षा के क्षेत्र में माँ का नाम भी शैक्षिक प्रमाण-पत्रों और डिग्रियों में अनिवार्य रूप से शामिल करने का आदेश दिया। कोर्ट ने एक लॉ स्टूडेंट की याचिका पर सुनवाई करते हुए इस फैसले को जारी किया।
मां-पिता दोनों का नाम हो जरूरी
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कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अब से शैक्षिक प्रमाण-पत्रों और डिग्रियों पर माँ-पिता दोनों का नाम होना अनिवार्य होगा। यह फैसला महिलाओं के शिक्षा के प्रति समाज में जागरूकता और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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महत्वपूर्ण याचिका का मामला
यह महत्वपूर्ण फैसला गुरू गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के एक छात्र रितिका प्रसाद की याचिका के मद्देनजर आया। रितिका ने अपनी डिग्री पर माँ का नाम शामिल करने की मांग की थी, जो कि उन्हें इसके हकदार बनाती हैं।
कोर्ट का संदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह संदेश दिया कि समाज में महिलाओं के साथ समानता को बढ़ावा देने के लिए ये कदम अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। कोर्ट ने यूनिवर्सिटी को 15 दिन का समय दिया है ताकि वह रितिका को उनकी डिग्री में माँ का नाम शामिल कर सके।
समाज के लिए एक महत्वपूर्ण कदम
इस फैसले से समाज में महिलाओं के अधिक सम्मान और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। यह भारतीय समाज के लिए एक ऐतिहासिक मोमेंट है जो समाज में समानता और न्याय की दिशा में एक नई राह दिखाता है।