- बिहार को जल्द मिलेगा 39वाँ ज़िला
- बिहार के पटना ज़िला का आकार होगा और छोटा
- बाढ़ ज़िला होगा नीतीश कुमार का नया सौग़ात
- हो सकता हैं बगहाँ को भी ज़िला घोषित कर दिया जाए.
- तो बिहार में नए 2 ज़िला के साथ हो जाएगा 40 ज़िला
- गाड़ी के नम्बर में भी BRXX नए सीरिज़ जुड़ेंगे
बिहार का 39वां जिला बनेगा बाढ़। इसकी घोषणा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की। रविवार को CM जैसे ही अपने पुराने संसदीय क्षेत्र बाढ़ पहुंचे काफी भावुक हो गए। अपने लोगों के बीच पहुंचकर उन्होंने अपनी पुरानी बातों को याद किया। उन्होंने कहा, ‘जब मैं सांसद-विधायक था तो यहां बार-बार आता था। घुमता था, लोगों से मिलता था।’
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इसी बीच किसी ने उनको याद दिला दिया कि बाढ़ को जिला बनाना है। फिर मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक रूप से यह ऐलान कर दिया कि घबराना नहीं है बाढ़ जिला बनेगा। अब उम्मीद जताई जा रही है कि अगले कैबिनेट में बाढ़ को जिला घोषित कर दिया जाएगा। बाढ़ के साथ-साथ बगहा को भी जिला घोषित किया जा सकता है।
बाढ़ के साथ बगहा को भी जिला बनाने की चल रही है मांग
बाढ़ 2008 तक लोकसभा सीट के रूप में जाना जाता था। नालंदा जिले के चंडी और हरनौत विधानसभा क्षेत्र भी इसी के अंतर्गत आते थे, लेकिन परिसीमन में बाढ़ सिर्फ विधानसभा क्षेत्र बनकर रह गया। बाढ़ को जिला बनाने का संघर्ष 70 के दशक में शुरू हुआ और 22 मार्च 1991 को संयुक्त बिहार का 51वां जिला बनाने की घोषणा हुई। 1 अप्रैल को इसका औपचारिक उद्घाटन तत्कालीन डीएम अरविंद प्रसाद ने किया, लेकिन 2 अप्रैल 1991 को ही यह फैसला रद्द हो गया। तब से यह मांग जारी है। आज जब नीतीश कुमार निजी यात्रा पर बाढ़ पहुंचे तो लोगों ने इस मांग को दोहराया। इसके जवाब में CM ने कहा कि बाढ़ जल्द जिला बनेगा। इससे पहले बगहा के बारे में भी चर्चा है कि उसे भी जिला बनाया जाएगा। हालांकि, बगहा पुलिस जिला पहले से है।
बाढ़ से 1989 से 2004 तक लगातार पांच बार सांसद रहे हैं नीतीश कुमार
नीतीश कुमार ने कहा, ‘मैं कई बार सोचता था कि अपने क्षेत्र में आकर आपलोगों से मिलू, लेकिन वक्त के अभाव में ऐसा नहीं हो पाया।’ बता दें, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की संसदीय यात्रा बाढ़ लोकसभा क्षेत्र से शुरू हुई थी। वह 1989 में पहली बार यहां से सांसद चुने गए और 1999 तक लगातार पांच बार जीते। 2004 में वे राजद के विजय कृष्ण से हार गए। हालांकि, 2005 में नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बन गए। 2008 में परिसीमन के दौरान बाढ़ लोकसभा क्षेत्र का अस्तित्व ही समाप्त हो गया।