बिहार सरकार ने नए नियमों के तहत वंशावली प्रमाण पत्र की जारी करने की प्रक्रिया में बदलाव किया है। अब सरपंचों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह निर्णय बिहार के सभी जिलाधिकारियों, उप विकास आयुक्तों, और पंचायती राज पदाधिकारियों समेत सभी अंचल अधिकारियों को पत्र भेजकर किया गया है।
इसके अनुसार, वंशावली प्रमाण पत्र की आवश्यकता वाले व्यक्ति को अपने ग्राम पंचायत सचिव के पास जाकर अपनी वंशावली का विवरण और स्थानीय निवासी होने का प्रमाण देना होगा।
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इसके लिए आवेदक को शपथ पत्र पर एक आवेदन जमा करना होगा, जिसमें रुपये का शुल्क भी देना होगा। पंचायत सचिव आवेदक को एक रसीद जारी करेंगे, और फिर 15 दिनों के अंदर सरपंच आवेदक को वंशावली प्रमाण पत्र उपलब्ध कराएंगे।
हालांकि, इस नियम के तहत नगर पंचायत, नगर परिषद, और नगर निगम के आवेदकों की वंशावली की प्रक्रिया की जानकारी अभी तक साफ नहीं है। इसके बारे में सरकार की ओर से कोई स्पष्टता नहीं दी गई है। यह सवाल अभी एक अबूझ पहेली के रूप में खड़ा है और आवेदकों के लिए एक चुनौती बनी है।
वंशावली प्रमाण पत्र के लिए आवेदकों को मिली नई सुविधा का स्वागत किया जा रहा है, लेकिन इसके साथ ही नगर आवासी लोगों के लिए प्रक्रिया की स्पष्टता की मांग की जा रही है।
विक्रम सिंह, एक स्थानीय नागरिक, ने कहा, “नए नियमों का स्वागत है, लेकिन सरकार को नगर आवासी लोगों के लिए भी स्पष्टता देनी चाहिए। यह व्यक्तिगत और पारिवारिक विवरण देने का तरीका क्या होगा, इसकी जानकारी देना जरूरी है।”
इस स्थिति में, सरकार से आशा है कि वह जल्द से जल्द इस मुद्दे पर स्पष्टता प्रदान करेगी ताकि लोगों को अपने प्रमाण पत्रों के लिए चिंता न करनी पड़े।