राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के लिए ज़मीन अधिग्रहण को लेकर नई व्यवस्था लागू कर दी है। अब हर जिले में ज़मीन की कीमत (रेट) और प्रकृति (टाइप) तय करने के लिए 5 सदस्यीय समिति बनाई गई है। यह व्यवस्था रैयतों को न्याय दिलाने और ज़मीन के प्रकार को लेकर होने वाले विवाद को खत्म करने के लिए लाई गई है।
समिति में कौन-कौन रहेगा?
इस समिति की अध्यक्षता अपर समाहर्ता (राजस्व) करेंगे। भू-अर्जन पदाधिकारी को इसका सदस्य सचिव बनाया गया है। इसके अलावा जिला अवर निबंधक, उप विकास आयुक्त, और संबंधित क्षेत्र के भूमि सुधार उप समाहर्ता भी इसमें शामिल रहेंगे।
अब ज़मीन की होगी फोटो और वीडियोग्राफी
जमीन अधिग्रहण से पहले अब उस जमीन की डिजिटल फोटो और वीडियोग्राफी की जाएगी। साथ ही, मौके पर मौजूद सरकारी अधिकारियों की तस्वीरें भी रिकॉर्ड में रखी जाएंगी, ताकि बाद में कोई हेराफेरी न हो। इससे यह पक्का होगा कि जिस जमीन को अधिग्रहित किया जा रहा है, उसकी प्रकृति क्या है।
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ग्रामीण और शहरी ज़मीन का नया वर्गीकरण
सरकार ने ग्रामीण और शहरी इलाकों की ज़मीन को अलग-अलग कैटेगरी में बांटा है, जिससे मुआवजे का सही निर्धारण किया जा सके। पहले कई बार देखा गया कि रैयतों की आवासीय जमीन को खेती योग्य मान लिया जाता था और मुआवजा घटा दिया जाता था।
नई दर अब तक तय नहीं हुई है
सरकार ने बताया कि ज़मीन की रजिस्ट्री दर आखिरी बार 2017 में तय की गई थी। अब अधिग्रहण में दिक्कत न आए, इसके लिए निबंधन विभाग को कहा गया है कि वह जल्द से जल्द नई दर घोषित करे।
🔍 सभी जानकारी एक नजर में:
बिंदु | विवरण |
---|---|
नई व्यवस्था लागू की गई | जिला स्तर पर 5 सदस्यीय समिति का गठन |
समिति में कौन-कौन? | अपर समाहर्ता (राजस्व), भू अर्जन पदाधिकारी, अवर निबंधक, DDC, भूमि सुधार उप समाहर्ता |
ग्रामीण ज़मीन के प्रकार | व्यवसायिक, औद्योगिक, आवासीय, सड़क किनारे की, सिंचित, असिंचित, बलुआही/पथरीली |
शहरी ज़मीन के प्रकार | प्रधान सड़क व्यवसायिक, आवासीय, औद्योगिक, शाखा सड़क, कृषि, अन्य सड़क की |
फोटो व वीडियो अनिवार्य | ज़मीन अधिग्रहण से पहले डिजिटल रिकॉर्डिंग की जाएगी |
पुराना रजिस्ट्री दर | 2017 में तय हुआ था |
नई दर का आग्रह | निबंधन विभाग को नया रेट जल्द तय करने को कहा गया है |