भारत का विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला शुरू हो चुका है. इस मेले का सबसे अद्भुत दृश्य सुल्तानगंज और देवघर में तो मिलता ही है साथ ही साथ रास्ते भी एक अलग प्रस्तुत करते हैं. सैकड़ों किलोमीटर लोगों की पैदल यात्रा तो किसी के दंडवत होकर देवघर तक की यात्रा देखते देखते यात्री मन में भी वह भाव आ जाता है जिससे हमारे ग्रंथों में कहा गया है कि ईश्वर को याद कर लेने मात्र से भी मन पवित्र हो जाता है.

 

बिहार के जहानाबाद जिले के घोसी थाना क्षेत्र से वीरपुर गांव निवासी 40 साल के साधु बम अर्थात श्रवण कुमार नंगे पांव देवघर के लिए रवाना हो चुके हैं.

सबसे खास बात यह है कि उनके कंधे पर कोई गंगाजल नहीं बल्कि उनके माता-पिता खुद बैठे हैं. उन्होंने बहंगी बनाकर अपने 65 और 70 वर्षीय माता-पिता को दर्शन कराने का सफर शुरू किया है जिसमें उनका पूरा परिवार भी साथ चल रहा है.

देवघर के रास्ते पर गुजरते हैं ऐसे कई अनगिनत दृश्यम बिहार के अनोखे संस्कृति का प्रतीक और एहसास कराते रहते हैं. कांवर यात्रा करने वाले लोगों के लिए अनगिनत जगह पर मुक्त खाने उनके ऊपर पानी का छिड़काव और अन्य प्रकार के सेवाओं के साथ लोग उपलब्ध होते हैं जो यह मानते हैं कि यात्रा करने वाले यात्रियों भक्तों के सेवा से भी बाबा बैद्यनाथ अत्यंत प्रसन्न होते हैं.

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