नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है, जिसमें उन्होंने पकड़ौआ विवाह (pakadaua marriage) या जबरन विवाह को रद्द करने वाले पटना हाईकोर्ट के एक आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर नोटिस जारी करने का ऐलान किया है और कहा है कि वे अगले आदेश तक इस निर्णय के संचालन और कार्यान्वयन पर रोक लगाए रखेंगे।
नवंबर 2023 में पटना हाईकोर्ट ने पकड़ौआ विवाह के मामले को रद्द करने का निर्णय लिया था, जिसका सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार करते हुए यह आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि हिंदू विवाह में परंपरागत रूप सप्तपदी का महत्वपूर्ण है और इसकी अभाव में विवाह वैध नहीं होता।
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इस मामले में याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे बंदूक की नोक पर मजबूर करके शादी किया गया था, और बिना धार्मिक अनुष्ठान के उसे सिंदूर भरने के लिए मजबूर किया गया था। दूसरी ओर, लड़की ने कहा कि उसकी शादी 2013 में हुई थी, और इसके दौरान उसे बहुत सारे उपहार मिले थे।
पकड़ौआ विवाह में लड़कों को अपहरण करके या बहला-फुसलाकर बंधक बना लिया जाता है, जो एक सामाजिक और कानूनी अनैतिकता है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय इस अनैतिक प्रथा के खिलाफ महत्वपूर्ण कदम है और सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ी उम्मीद का संकेत है।