अगर आप भागलपुर और आसपास के इलाके में रहते हैं या वहां निवेश करने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए एक बड़ी खुशखबरी है! नाथनगर और अकबरनगर के बीच ग्रेटर भागलपुर की ग्रीनफील्ड टाउनशिप बसाई जा रही है। सितंबर से इसके लिए भू-अर्जन का काम शुरू हो जाएगा, और इस पूरे क्षेत्र का विकास होने वाला है। आइए, इस नई टाउनशिप के बारे में पूरी जानकारी हासिल करते हैं।
ग्रेटर भागलपुर टाउनशिप का मास्टर प्लान 2041
नगर विकास एवं आवास विभाग ने इस ग्रीनफील्ड टाउनशिप के लिए मास्टर प्लान 2041 के तहत सर्वे का काम पूरा कर लिया है। 17 जुलाई को प्रधान सचिव ने नगर आयुक्त के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से एक बैठक की थी, जिसमें इस कार्ययोजना पर विस्तृत चर्चा हुई थी। इस प्लान के अनुसार, यह टाउनशिप क्षेत्र के भविष्य को बदलने वाला है।
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चिन्हित की गई जमीन 🌍
नगर निगम क्षेत्र से सटे नगर पंचायत और नगर परिषद क्षेत्र को छोड़कर टाउनशिप के लिए जमीन चिन्हित की गई है। नगर निगम क्षेत्र के पश्चिमी दिशा में 500 एकड़ जमीन को सैटेलाइट सर्वे कर चिह्नित किया गया है। यह जमीन नगर निगम की सीमा से पांच से आठ किलोमीटर के अंदर है। यह स्थान नाथनगर और अकबरनगर के बीच स्थित है, जहां इस टाउनशिप को बसाने का निर्णय लिया गया है।
ग्रीनफील्ड टाउनशिप का प्रस्ताव तैयार 🏙️
ग्रीनफील्ड टाउनशिप के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक टीम गठित की गई है, जो इस प्रस्ताव को अंतिम रूप देकर सरकार को भेजेगी। इस टीम में विकास आयुक्त को अध्यक्ष और नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव को सदस्य सचिव बनाया गया है। साथ ही, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, पथ निर्माण विभाग और उद्योग विभाग के प्रधान सचिव भी इस समिति में शामिल हैं। इस परियोजना को पूरा करने में करीब दो साल का समय लग सकता है।
सरकार करेगी 10% भूमि का अधिग्रहण 📜
ग्रीनफील्ड टाउनशिप के लिए सरकार कुल जमीन का करीब 10 प्रतिशत ही अधिग्रहण करेगी। शेष जमीन निजी रहेगी, जिस पर आवासीय और व्यावसायिक भवनों का निर्माण किया जा सकेगा। इस टाउनशिप में सड़कों की चौड़ाई, ड्रेनेज, सीवरेज, खेल मैदान, पार्क, मार्केट और चिकित्सा सुविधाओं जैसी सभी बुनियादी सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
भूमि के MVR में वृद्धि और सरकार की आय 💰
टाउनशिप के आधारभूत संरचना के विकास के बाद, उस क्षेत्र की भूमि के मूल्य में वृद्धि हो जाएगी। इसके चलते भूमि के न्यूनतम मूल्य पंजी (MVR) की दर में भी वृद्धि की जाएगी। इसके बाद, सरकार अर्जित भूखंडों की नीलामी कर उससे आय प्राप्त करेगी। साथ ही, MVR में वृद्धि के कारण निबंधन शुल्क और भवन योजना की लागत पर लगने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट शुल्क से भी सरकार को अच्छी खासी आमदनी होगी।