देश में रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजें लगभग 10% तक मांगे हो सकते हैं इसमें मुख्य रूप से गेहूं पाम तेल और पैकेजिंग के समान इत्यादि तेजी से महंगे हो सकते हैं. भारतीय इंडस्ट्री को यूक्रेन कनफ्लिक्ट के वजह से काफी झटका लग रहा है.
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यूक्रेन के मुख्य रूप से आने वाली चीजें अभी हर तरीके से बंद है और इन सब के दामों में बढ़ोतरी करने के लिए एफएमसीजी कंपनियां तैयारी कर रही हैं.
मुख्य रूप से महँगे होने वाली चीजें.
- पेट्रोल/डीज़ल/गैस
- खाद्य तेल
- गेहूं और इससे जुड़े सामान जैसे बिस्किट इत्यादि
- मेटल और इस से जुडी उत्पाद
बड़ी एफएमसीजी कंपनियों की बात करें तो उनका मैनेजमेंट लगभग 10 से 15% तक अपने प्रोडक्ट के दाम को बढ़ाने के तैयारी के मूड में हैं. युद्ध के वजह से आयात होने वाले बहुतायत चीजों जैसे सूरजमुखी के तेल इत्यादि अभी यूक्रेन से भारत नहीं आ रहे हैं जिसके वजह से लगातार कंपनियों को पुराने एमआरपी पर अभी सामान बेचना पड़ रहा है लेकिन नया बनने वाला सामान की लागत पहले से कहीं ज्यादा है और इसके वजह से उन्हें दोबारा से रेट तय करना पड़ रहा है.