शहरी क्षेत्र में होल्डिंग काे लेकर नामांतरण कराने वालों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। नगर निगम ने बुधवार से विलंब शुल्क की राशि में वृद्धि कर दी है। अगर शहरवासी जमीन रजिस्ट्री कराने के एक साल तक नगर निगम से म्यूटेशन नहीं कराएंगे तो उन्हें विलंब शुल्क देना होगा। नगर निगम पहले 100 रुपये जुर्माना शुल्क लेता था। नगर आयुक्त डा. योगेश कुमार सागर ने विलंब शुल्क 500 रुपये कर दिया है। म्यूटेशन शाखा प्रभारी शब्बीर अहमद ने बताया कि निर्देश का अनुपालन किया जा रहा है।

 

भवन नक्शा पर ई-पोर्टल का रोड़ा, बैंक डीडी की मियाद भी पूरी

नगर निगम में पिछले तीन माह से भवन नक्शा पास नहीं हो रहा है। 24 जून से ई-म्यूनिस्पिल्टी का साइट पूरी तरह से ठप है। यह स्थिति पूरी राज्य की बनी है। विभाग ने जिस कंपनी को पोर्टल संचालित करने की जिम्मेदारी दी थी उसे भुगतान ही नहीं किया है। इससे विकास की रफ्तार रूप गई है। कई अपार्टपेंट का निर्माण ठप है। पोर्टल में तकनीकी गड़बडी के कारण शहर में व्यापार के लिए जरूरी ट्रेड लाइसेंस और भवन का नक्शा नहीं पास हो पा रहा है। इससे न तो लोगों को बैंकों से ऋण मिल पा रह है और न ही वे व्यापार शुरू कर पा रहे हैं। इससे भवन नक्शा के करीब 140 से अधिक लंबित है। इससे अपार्टमेंट निर्माण के लिए जिन लोगों ने आवेदन दिया था। उसने 10 हजार रुपये का डीडी जमा किया था। जबकि डीडी की समय अवधी तीन माह की होती है। ऐसे में डीडी भी निरस्त करने की नौबत आ गई है।

 

बिल्डरों की समस्या बढ़ी, फंसी पूंजी

ऑनलाइन व्यवस्था दुरुस्त होने तक सरकार द्वारा नक्शा पास करने की वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए। कई प्रोजेक्ट लंबित हैं जिनके कारण बिल्डरों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है तथा उनकी लागत बढ़ रही है। पिछले कई महीने से सर्वर की गड़बड़ी से भवन नक्शा पास करने का काम रुका हुआ है जिससे कई प्रोजेक्ट रुके हुए हैं। ऐसे में बिल्डरों की समस्याएं बढ़ रही हैं, उनकी पूंजी फंसी हुई है और लागत बढ़ रही है। जमीन मालिकों तथा बिल्डरों में कानूनी विवाद बढऩे की आशंका है। वैसे भी लगभग एक साल से अधिक समय से नगर निगम क्षेत्र के बाहर नक्शा पास करने के लिए सक्षम पदाधिकारी के विषय में गतिरोध के कारण इन क्षेत्रों में भवन निर्माण का कार्य रुका हुआ है। ज्ञात हो कि रियल इस्टेट क्षेत्र का समूचे अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है, और इसमें रुकावट आने से क्षेत्र के रोजगार, निवेश, राजस्व आदि पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। – आलोक अग्रवाल, अध्यक्ष, क्रेडाई भागलपुर

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