पटना : पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि माता-पिता की संपत्ति पर जबरन कब्जा करने वाली संतान को वरिष्ठ नागरिक संरक्षण कानून के तहत बेदखल नहीं किया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने निर्धारित किया है कि जबरन कब्जे की गई संपत्ति का मासिक किराया और मासिक भरण-पोषण संतान को देना होगा।
हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी द्वारा दिया गया यह फैसला पटना के एक रेस्ट हाउस के मालिक के बेटे के मामले पर हुआ है। संतान ने गेस्ट हाउस के तीन कमरों पर जबरन कब्जा किया और उसने उन्हें आवास से वंचित कर दिया।
किराए के निर्धारण के लिए जांच करने का भी निर्देश
कोर्ट ने वरिष्ठ नागरिक अधिनियम के तहत बेदखल के लिए ट्रिब्यूनल के आदेश को रद्द करते हुए मामले को डीएम के समक्ष पेश करने का आदेश दिया। इसके साथ ही, किराए के निर्धारण के लिए जांच करने का भी निर्देश दिया गया है।
पीड़ित माता-पिता को संबंधित संपत्ति पर हुए कब्जे को बेदखल सुनिश्चित करने के लिए सक्षम न्यायालय में केस दायर करने की छूट दी गई है। इस फैसले से संबंधित मुद्दों में न्यायपालिका ने एक महत्वपूर्ण स्टैंड लिया है जो माता-पिता की संपत्ति की सुरक्षा में मदद कर सकता है।