भागलपुर: दिव्यांग खिलाड़ी अर्चना कुमारी ने अपने अद्भुत प्रदर्शन से सभी को हैरान कर दिया। उन्होंने अपने विरोधियों को पिछे छोड़कर नाम की ऊंचाइयों को छूने का सपना पूरा किया।
अपने व्हीलचेयर से ऊंची उड़ान
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अर्चना की कहानी उस दिन से शुरू हुई जब वह नौवीं कक्षा में छत से गिर गई। इस हादसे के बाद भी, वह निरंतर प्रैक्टिस जारी रखी और अपने सपनों की ओर बढ़ती चली गई।
नेशनल और इंटरनेशनल मेडलिस्ट
उन्होंने शॉट पुट, डिस्कस थ्रो, और जैवलिन थ्रो जैसे खेलों में भाग लेकर 7 गोल्ड, 7 सिल्वर, और 4 ब्रॉन्ज मेडल जीते। इंटरनेशनल प्लेटफ़ॉर्म पर भी उनकी काबिलियतों ने लोगों को मोहित किया।
समाज के लिए उत्तम उदाहरण
अर्चना की कहानी से सामाजिक संज्ञान और प्रेरणा मिली है। उनके हौसले ने न केवल उन्हें बल्कि पूरे समाज को भी गर्वान्वित किया है।
आगे की यात्रा
अर्चना अब भागलपुर के दिव्यांगजन सशक्तिकरण कार्यालय में काम कर रही हैं। वह न केवल अपने सपनों को पूरा कर रही हैं, बल्कि दूसरों को भी प्रेरित कर रही हैं।
अर्चना की कहानी से साफ है कि जब मन में जज्बा हो, तो कोई भी कठिनाई आसमान की ऊंचाइयों को छू सकता है। उन्होंने अपने आत्मविश्वास और मेहनत से सफलता की चोटी पर पहुंच गई है।