सिल्क सिटी को बेशक स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद चल रही है, लेकिन इस बार स्वच्छता का पारा लुढ़ककर नीचे आ गया है। देश भर की स्वच्छता रैंकिंग में इस बार भागलपुर 523वीं रैंक पर पहुंच गया है। स्थिति यह है कि पड़ोसी जिला बांका भी स्वच्छता के मामले में इससे कई कदम आगे निकल चुका है।
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केंद्रीय आवासन एवं शहरी मामलों के मंत्रलय के स्वच्छता सर्वेक्षण, 2021 का परिणाम शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जारी किया। देश भर की स्वच्छता रैंकिंग 2021 में भागलपुर ने 4320 शहरों में 523वीं रैंक हासिल की है, जबकि पांच राज्यों के गंगा से सटे 91 शहरों की रैंकिंग में तीन से 10 लाख की वाले शहरों में इसे 40वीं रैंक मिली है। वर्ष 2020 में 4242 शहरों में भागलपुर ने 379वीं रैकिंग हासिल की थी। गत वर्ष के मुकाबले भागलपुर 144 रैंक नीचे गिरा है। पड़ोसी जिला बांका ने 478वीं रैंक भागलपुर को पछाड़ दिया है। बिहार के 36 शहरों में से भागलपुर 23वें स्थान पर है और 12 शहरों की रैंकिंग में नीचे है।
वहीं, एक से दस लाख की आबादी वाले 374 शहरों में भागलपुर ने 366वीं रैंक हासिल की है। स्वच्छता सर्वेक्षण सर्विस लेवल प्रोग्रेस, सिटीजन फीडबैक, डायरेक्ट आब्जर्वेशन व कलेक्शन के साथ सर्टिफिकेशन को सर्वे का आधार माना गया। इसके लिए छह हजार अंक निर्धारित किए गए थे। इनमें भागलपुर ओवरआल 2.96 फीसद अंक ही प्राप्त कर सका। लिहाजा भागलपुर शहर कई माइनों में पिछड़ गया।
संसाधनों की हुई खरीद पर नहीं होता उपयोग
शहर की साफ-सफाई में संसाधन की खरीदारी हुई पर उपयोग नहीं होता। निगम गोदाम में स्मार्ट सिटी की योजना से दो स्वी¨पग मशीन, तीन मिली डिसलिं्टग वाहन, मिनी पोर्टेबल कंपेक्टर के जैविक खाद प्लांट और 10 बायो टायलेट धूल फांक रहे हैं। वहीं बड़ा डिसलिं्टग वाहन की संख्या छह है पर दो का ही उपयोग हो रहा। तीन जेटिंग वाहन भी है। सामुदायिक शौचालय की साफ-सफाई नहीं कराई जाती है। जर्जर उपकरण को दुरुस्त करने के लिए चारों जोन को समय पर राशि उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। नालों का पानी बिना ट्रीटमेंट के गंगा में प्रवाहित किया जा रहा है।
प्रोसेसिंग प्लांट के अभाव में शहर बना नरक
कचरे के प्रोसेसिंग और निस्तारण के मानक पर सिस्टम पूरी तरह से फेल है। निस्तारण के लिए भूतनाथ मार्ग पर दो पिट का निर्माण कार्य अधूरा है। कुछ मशीनों के अभाव में कचरे का प्रोसेसिग नहीं हो रहा है। पहले चरण में 4.68 एकड़ में कूड़ा डंपिग ग्रांउड मिला, जबकि दूसरे फेज में पांच एकड़ लेकिन अतिक्रमण की जद में है। निस्तरण नहीं होने के कारण कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया है। सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए स्मार्ट सिटी परियोजना में पैसे उपलब्ध हैं, लेकिन निगम प्रशासन जमीन उपलब्ध नहीं होने का रोना रोता रहता है। कचरा प्रोसेसिंग यूनिट के लिए 20 एकड़ जमीन चाहिए। जमीन मिल नहीं रही है।
केवल चलता हैं राजनीति, काम कुछ भी नही .
इस 5 साल के कार्यकाल को अगर कोई भी भागलपुर का व्यक्ति गौर से नगर निगम को देखेगा तो उसमें काम कम और केवल राजनीति और राजनीति प्रत्यय के जाने वाले रोटियों की चर्चा रही है. आरोप-प्रत्यारोप का स्तर किस हद तक जा चुका था यह शहर के लोगों से छुपा नहीं है. नगर निगम में जीत कर और अच्छे पद पर बैठे जनसेवक भी लगातार हो रहे चुनाव में अपनी बाजी मारने के लिए नगर निगम के कार्य छोड़ लगातार अन्य सारे कार्यों में व्यस्त रहे हैं. कार्य चाहे जो भी रहा हो लेकिन अब रिजल्ट सबके सामने हैं और इसका भुक्तभोगी खुद पूरा शहर हो चला है.