बिहार में शराब बंदी में जप्त हुए अब बोतलों को नष्ट नहीं किया जाएगा बल्कि इसके लिए सरकार ने नया उपाय ढूंढ लिया है जिसका क्रियान्वयन पटना के कारख़ाने से जल्द शुरू किया जाने वाला है आयी है विस्तार में जानते हैं इसके बारे में.

 

जिन बोतलों में भरी शराब को पीने के बाद पीने वाले झूमते थे, अब उन्हीं बोतलों की कांच से सुहागिनों की कलाइयों में चूड़ियां खनकेंगी. बिहार में बरामद अवैध शराब की बोतलों को गलाकर कांच की चूड़ियों का निर्माण पटना में किया जाएगा.

 

चूड़ियों के लिए विश्वविख्यात फिरोजाबाद के तकनीकी विशेषज्ञों की देखरेख में पटना के पास सबलपुर गांव में अत्याधुनिक चूड़ी कारखाने की स्थापना की गई है. यहां दो टन की क्षमता वाली गैस से चलने वाली 2 भट्ठी बनाई गई हैं, जो वातावरण के अनुरूप है. यह राज्य की पहली चूड़ी की फैक्टरी है, जिसे महिलाओं व स्वयं सहायता समूह द्वारा संचालित किया जाएगा.

 

हर दिन बनाई जाएंगी 80 हजार चूड़ियां :

जविका के राज्य प्रोग्राम मैनेजर समीर कुमार के अनुसार इस कारखाने में प्रतिदिन लगभग 2 टन शीशों को पिघलाने और 80 हजार चूड़ियों को बनाने की क्षमता है. सबलपुर स्थित इस चूड़ी निर्माण केंद्र में बनाई गई बड़ी भट्टी में आईओसीएल का गैस कनेक्शन लगवाया गया है. शीशों को पिघलाने के लिए करीब 300 से 400 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की जरूरत पड़ती है. इस कारण ये आम एलपीजी गैस से संभव नहीं है.

 

 

13 हजार स्क्वेयर फुट की किराए की जमीन पर बनाए गए इस चूड़ी निर्माण केंद्र के लिए 99.99 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की गई है. इस योजना के क्रियान्वयन के लिए मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग द्वारा वित्तीय सहायता की गई है. फैक्टरी में महिलाओं की सुरक्षा का विशेष ख्याल मिहलाओं की सुरक्षा के लिए ग्लब्स, हेलमेट इत्यादि की भी व्यवस्था की गई है. जिससे भट्टी में व अन्य मशीनों पर कांच की चूड़ी बनाते हुए किसी भी मिहला कारीगर को किसी भी प्रकार से नुकसान नहीं हो. फिरोजपुर भेजकर दी गई ट्रेनिंग : यही नहीं, इसके संचालन के लिए 10 जिीवका दीदियों को फिरोजाबाद भेज कर ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है. फिलहाल कारखाने में सिंपल सिंगल और मल्टीकलर की चूड़ियां बनाई जा रही हैं.

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