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फेल हो गये थे परीक्षा में, होना पड़ा जलील तो संस्कृत से पढ़ाई कर दिखा दिया IPS कैसे बना जाता हैं.

Puja Singh by Puja Singh
May 29, 2022
in Bihar
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फेल हो गये थे परीक्षा में, होना पड़ा जलील तो संस्कृत से पढ़ाई कर दिखा दिया IPS कैसे बना जाता हैं.
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पटना:-  आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने न सिर्फ अपने सपने को साकार किया, बल्कि बाकी लोगों का यह सीख भी दी कि अगर आप किसी सपने को पूरा करने के लिए पूरी लगन से मेहनत करते हैं, तो ऐसा कुछ भी नहीं जो आपको उस सपने को पूरा करने से या उसे पाने से रोक सके  । दरअसल हम जिस शख्स की बात करने जा रहे हैं उनकी जिंदगी में तो काफी उतार-चढ़ाव आए पर इन सब के बावजूद अपने सपने को साकार कर उन्होंने यह साबित कर ही दिया कि दिल से की गई मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती।

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    तो हम बात कर रहे हैं पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे की, जो सोशल मीडिया पर एक  ट्रेंड की तरह प्रचलित हो रहे हैं। अपने कामकाज के  सख्त तरीके से हमेशा चर्चा में बने रहने वाले गुप्तेश्वर पांडे का नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है।  उनके काम करने के तरीके ने हमेशा ही उन्हे लाइमलाइट में रखा है । कुछ दिनों से गुप्तेश्वर पांडे जी ,अपने प्रशासनिक काम से हटकर आस्था की ओर जाते हुए दिख रहे थे। जिसकी चर्चाएं सोशल मीडिया पर  काफी  तेज हो चुकी थी। अपने इसी नए अवतार के वजह से इन दिनों गुप्तेश्वर पांडे जी सुर्खियों में छाए हुए थे।

     

     # तो आइए आपको बताते हैं ,कि आखिर कौन है, यह गुप्तेश्वर पांडे__

     

    शुरुआत करते हैं उनके जन्म से, गुप्तेश्वर पांडे का जन्म 1961 में बक्सर जिले के  गेरूबांध नाम के ऐसे गांव में हुआ था जो कि बुनियादी सुविधाएं जैसे बिजली ,पानी  ,शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सड़क से वंचित था। इंटर की पढ़ाई के बाद की पढ़ाई उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी से पूरी की। पहले उन्होंने संस्कृत भाषा से यूपीएससी की परीक्षा दी जिसके बाद उन्हें राजस्व सेवा आयकर आवंटित किया गया था । इसके बाद उन्होंने दूसरी बार यूपीएससी की परीक्षा दी और 1987 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुए और उन्हें बिहार कैडर आवंटित किया गया था।

    गुप्तेश्वर पांडे भारतीय पुलिस सेवा के एक सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। बिहार के पुलिस महानिदेशक के रूप में काम कर चुके गुप्तेश्वर पांडे ने मार्च 2009 में पुलिस सेवा से रिटायरमेंट लेकर सभी को हैरान कर दिया था । गौरतलब है कि ठीक 9 महीने बाद ही वह फिर से पुलिस सेवा में शामिल हो गए थे। अभी वर्तमान की बात करें तो उन्होंने 28 फरवरी 2021 जो कि उनके सेवा कार्यकाल खत्म होने की तिथि है,  इससे  ठीक 5 महीने पहले यानी कि 22 सितंबर 2020 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है।

     

    # भारतीय पुलिस सेवा में किए गए उनके कार्य__

    गुप्तेश्वर पांडे ने बिहार के कई प्रमुख जिलों में (एसपी) पुलिस अधीक्षक के रूप में काम किया है । इसके अलावा उनकी नियुक्ति तिरहुत संभाग मुजफ्फरपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक के रूप में भी की गई थी। जहां उन्होंने अपराध की दरों को कम करने के लिए व पुलिस को लोगों के अनुकूल बनाने के लिए कई सफल प्रयास किए। बात तब की है जब बिहार सरकार ने नवंबर 2015 में शराब प्रतिबंध लगा दिया था। तब गुप्तेश्वर पांडे ही थे, जिन्होंने पूरे बिहार का दौरा किया और शराबबंदी के लिए एक सफल अभियान चलाया ,जिसमें महिलाओं ने उनका काफी हद तक समर्थन किया।

    # राजनीतिक सफर के कुछ पहलू__

     

    आपको बता दें कि, गुप्तेश्वर पांडे के 2014 के लोकसभा चुनाव में पहले वीआरएस के लिए आवेदन करने पर किसी कारणवश बक्सर निर्वाचन क्षेत्र से टिकट नहीं मिला । तब उन्होंने अपना आवेदन पत्र वापस ले लिया और इसके बाद 27 सितंबर 2020 को पटना में सुप्रीमो पार्टी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर जनता दल (यूनाइटेड) में शामिल होकर अपने नए सफर की शुरुआत की।

    # जीवन के उतार-चढ़ाव:-  जूट की टाट पर बैठकर करनी पड़ी पढ़ाई।

    बात करें अगर इनके जिंदगी के उतार-चढ़ाव की तो डीजीपी पांडे ने शुरुआती शिक्षा अपने ही गांव से हासिल की पर इसके बाद उन्हें दूसरे गांव जाकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ी, वह इसलिए क्योंकि डीजीपी पांडे के समय में उनके गांव में बुनियादी सुविधाएं जैसे – आम जरूरतों को पूरा करने के साधन व शिक्षा के संसाधन की काफी कमी थी । उनके ही  तरह काफी स्टूडेंट्स को दूसरे गांव जाना पड़ता था। ऐसे हालातों में अच्छे स्कूलों और अस्पतालों के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता पर डीजीपी पांडे की लगन ने हर मुश्किल को पार करते हुए अपना रास्ता निकाल ही लिया और दूसरे गांव के विद्यालय में जाकर शिक्षा ग्रहण की। मीडिया के रिपोर्ट के अनुसार डी जे पी पांडे ने जिस स्कूल से पढ़ाई पूरी की वहां शिक्षक जहां चारपाई पर बैठते थे वहीं दूसरी तरफ शिष्य   जूट की टाट पर बैठकर पढ़ाई करते थे एवं उनके पढ़ने का माध्यम भी खेत भोजपुरी ही था।

     

     #   स्कूल में फेल होने के बावजूद अपने सपने को किया साकार।

     

    डीजीपी पांडे ने एक इंटरव्यू में बताया कि जब वह 11वीं में थे तब वह फेल हो गए थे। और तो और उनकी गिनती कक्षा की औसत से भी कमजोर छात्र के रूप में होती थी। उनके मुताबिक डीजीपी पांडे फिजिक्स और केमिस्ट्री में कमजोर थे एवं छठी कक्षा तक तो उन्हें अंग्रेजी के अक्षरों का भी ज्ञान ना था। इन सब के बावजूद उन्होंने यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा को अपने मेहनत के दम पर पास किया।

     

    #  बने रहे सुर्ख़ियों में_

     

    डीजीपी पांडे के अलावा उनके बयान भी अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं। 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पांडे इससे पहले मुजफ्फरपुर के जोनल आईजी भी रह चुके हैं। 31 वर्षों तक पुलिस विभाग को सेवाएं देने वाले डी जे पी पांडे ने एसपी, रेंज डीआईजी ,एडीजी मुख्यालय ,और डीजी  बीएमपी के साथ-साथ कई पदों पर काम किया है । गौरतलब है कि 2019 में उन्हें बिहार के डीजीपी के पद पर नियुक्त किया गया  था। इतना ही नहीं बिहार के 26 जिलों में उन्होंने एसपी, एसएसपी, आईजी, और एडीजी के तौर पर अपनी सेवाएं दी है ।

     

    #  भागवत गीता के प्रसारण के वजह से आए सुर्खियों में।

     

    दरअसल ,एक बार फिर ऐसा हुआ है कि   डीजेपी पांडे के नए अवतार के वजह से आज वह सुर्खियों में बने हुए हैं। आपको बता दें कि यह सारा मामला एक बैनर के वजह से है ,जो कि बिहार के सड़कों पर लगाया गया है । जिसके माध्यम से डीजीपी पांडे श्रीमद् भागवत गीता का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। बैनर में जहां एक और राधा कृष्ण की तस्वीर है वहीं दूसरी ओर डीजीपी पांडे की फोटो लगी हुई है। कथा का प्रसारण ऑनलाइन तरीके से किया गया है जिसके लिए  ज़ूम आईडी और पासवर्ड भी बैनर में छापे गए थे। जिससे यूज कर के इच्छुक लोग कथा का आनंद ले सकते थे। डी जे पी पांडे सुशांत सिंह राजपूत केस  से सुर्खियों में आए थे। उन्होंने पहले भी अपनी नौकरी से वी आर एस लिया था। 27 दिसंबर 2020 को उन्होंने जेडीयू का हाथ थाम कर सबको चौंका दिया था  ।गौरतलब है कि जेडीयू ने उन्हें चुनाव लड़ने का टिकट नहीं दिया था। अब वह एक कथा वाचक के रूप में आगे बढ़ रहे हैं।

     

    #   सख्त ऑफिसर की सूची में आता है इनका नाम।

     

    2015 के शराबबंदी के कैंपेन के दौरान डीजीपी पांडे जगह-जगह मुआयना करने गए थे। उनके कई ऐसे काम है जो कि सराहनीय है और जिसे भुलाया नहीं जा सकता। जैसे कि नक्सलवादी इलाकों में पोस्टिंग के दौरान इनके किए गए काम व अलग-अलग जिलों में हालातों को सुधारने के लिए उठाए गए उनके सख्त कदम……… यह कुछ ऐसे कार्य थे ,जिनकी वजह से आज भी इन्हें वहां याद किया जाता है। तनाव की स्थिति को संभालने में तो इनका कोई जवाब ही ना था।

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