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बिहार के कटिहार जिले के रहने वाले अनुराग ने दिखाया है कि कठिनाईयों को पार करना मुश्किल नहीं, बल्कि मेहनत और आत्मविश्वास से संभव है। उनका सफलता का सफर यहीं नहीं, बल्कि एक बड़े सबक को सामने रखता है।

छात्र जीवन का संघर्ष:

अनुराग की शिक्षा हिंदी मीडियम से शुरू हुई थी, लेकिन उन्हें अंग्रेजी मीडियम में दाखिला मिलने के बाद उन्हें कई समस्याएं उत्पन्न हुईं। हालांकि, उन्होंने इसे मंजूरी नहीं दी और मेहनत करके नौंवीं तक पहुंचे, जहां उन्होंने मेहनत और आत्मसमर्पण से 90% अंक हासिल किए।

निराशा से सफलता की ओर:

उनका जीवन में वह समय भी आया जब उन्हें एक छोटे शहर से दिल्ली आना पड़ा और पढ़ाई में बिल्कुल भी रुचि नहीं थी। इससे उनकी ग्रेजुएशन में कई सब्जेक्ट्स में असफलता हुई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और पोस्ट ग्रेजुएशन में प्रवेश प्राप्त किया।

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यूपीएससी की तैयारी में संघर्ष:

अपनी पहली यूपीएससी परीक्षा में उनकी रैंक 677 थी, लेकिन उनका लक्ष्य अभी भी इधर-उधर नहीं था। उन्होंने फिर से मेहनत करते हुए 2018 में यूपीएससी सीएसई परीक्षा में 48वीं रैंक हासिल की और आईएएस बन गए।

सफलता का अहसास:

अनुराग ने बताया कि सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को अपनी कमियों को स्वीकार करना और सुधारने का साहस होना चाहिए। उनका यह संदेश देशभर के छात्रों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकता है।

आईएएस का सफर:

आज, अनुराग बिहार कैडर के IAS अधिकारी के रूप में सक्रिय हैं और वे बेतिया जिले में सहायक जिला अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। उनकी कड़ी मेहनत, संघर्ष, और संघर्षशीलता ने उन्हें उनके सपनों की ऊँचाइयों तक पहुंचाया है।

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