मीमांसा की इस उच्चतम स्तरीय सफलता ने समाज में चर्चा और गर्व का विषय बना है। उनकी कड़ी मेहनत और स्वतंत्रता से तैयारी करने की बातें एक प्रेरणा स्रोत के रूप में उभर रही हैं।
इस सम्मान के मौके पर, मीमांसा ने कहा, “मेरे लिए यह एक सपने की तरह है जो साकार हो रहा है। बिना कोचिंग के तैयारी करना मुझे स्वतंत्रता और आत्मविश्वास में वृद्धि करने का एहसास कराया है।”
उन्होंने जोड़ते हुए कहा, “मेरे माता-पिता ने मुझे हमेशा समर्थन दिया है और मेरी सफलता में उनका बड़ा हाथ है। उनकी सीखों ने मुझे यह सिखाया है कि मेहनत और सही दिशा में मनोबल से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।”
मीमांसा ने आगे कहा, “जब मैंने अपनी तैयारी शुरू की, तो बहुत से लोगों ने मुझे कोचिंग सेंटर जाने की सलाह दी, लेकिन मैंने अपने आत्म-संघर्ष का समर्थन किया और स्वयंसेवक पढ़ाई का रास्ता चुना।”
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उनके इस उपलब्धि ने युवा पीढ़ी में स्वतंत्रता की महत्ता को बढ़ाया है और बच्चों को यह सिखाया है कि जब आप मेहनत करते हैं और आपकी निर्धारित लक्ष्यों की ओर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित होते हैं, तो कोई भी मुश्किल हार नहीं सकती।
इस अद्वितीय कड़ी मेहनत और उदाहरणशीलता के साथ, मीमांसा ने एक नए सफलता के चीरकोटी में खुद को स्थापित किया है और उनकी कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनी है।