Grah Gochar 2024 : हम सभी जानते हैं कि जैसे मनुष्य कर्म करता है, उसको उसी प्रकार का फल प्राप्त होता है। कर्म फल भी रूप परिवर्तित कर व्यक्ति को देर-सवेर सुख-दुख के रूप में प्राप्त होता है। विज्ञान की भाषा में जिस प्रकार पदार्थ कभी नष्ट नहीं होता है, उसका केवल रूप बदल जाता है, उसी प्रकार किया गया कर्म भी कभी निष्फल नहीं होता है। अपने पूर्व जन्मों में किए गए पापों से रुष्ट ग्रहों को प्रसन्न करने के लिए उपासना, यज्ञ, रत्न धारण आदि का विधान प्राचीन ग्रंथों में वर्णित है। अनुभव में आया है कि यदि हम लोग जड़ की अपेक्षा सीधे जीव से संबंध स्थापित करें, तो ग्रह अति शीघ्र प्रसन्न हो सकते हैं।

धर्मशास्त्रों में सफलता के सूत्र, संकेतों के रूप में रहते है

मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, गुरु देवो भव, अतिथि देवो भव, वेद वाणी है। इसी प्रकार शास्त्र कहता है, मात्र प्रणाम करने से, सदाचार के पालन से एवं नित्य वृद्धों की सेवा करने से आयु, विद्या, यश व बल की वृद्धि होती है। यदि हम जीवों के प्रति परोपकार की भावना रखें, तो अपनी कुण्डली में रुष्ट ग्रहों की रुष्टता को न्यूनतम कर सकते हैं। हर व्यक्ति पर किसी न किसी ग्रह का अपना एक विशेष प्रभाव रहता है,

इस प्रकार का विशेष प्रभाव उसके आचार-विचार, व्यवहार व जीवन की कुछ विशेष व प्रमुख घटनाओं के माध्यम से प्रकट होता है। नौ ग्रह इस चराचर जगत में पदार्थ, वनस्पति, तत्व, पशु-पक्षी इत्यादि सबमें अपना प्रतिनिधित्व समाहित रखते हैं। इसी तरह ऋषि, महर्षियों ने पारिवारिक सदस्यों और आसपास के लोगों में भी ग्रहों का प्रतिनिधित्व बताया है।

ग्रहों का प्रतिनिधित्व और उनका प्रभाव

सूर्य आत्मा के साथ-साथ पिता का प्रतिनिधित्व करता है और चंद्रमा मन के साथ-साथ माता का, मंगल पराक्रम के साथ-साथ छोटे भाइयों का, शनि दुःख के साथ सेवक का, बृहस्पति ज्ञान के साथ गुरू एवं बड़े भाई तथा उनके समकक्ष लोगों का, बुध वाणी के साथ-साथ मामा का, शुक्र ऐश्वर्य के साथ जीवनसाथी का कारक है। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है, कि जीवनसाथी को कष्ट देने पर शुक्र प्राकृतिक तौर पर निर्बल होने लगता है, जिसके कारण व्यक्ति का ऐश्वर्य कम हो जाता है।

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