आमलकी/रंगभरी एकादशी का आरंभ 19 मार्च को रात में 12 बजकर 22 मिनट आरंभ हो रही है और 20 मार्च को रात में 2 बजकर 23 मिनट पर समाप्त हो रही है। ऐसे में आमलकी एकादशी का व्रत 20 मार्च को पुष्य नक्षत्र में रखा जाएगा और व्रत का पारण का समय 21 मार्च को सुबह 9 बजे से पहले।
रंगभरी एकादशी पूजा विधि
– सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
– व्रत का संकल्प लेकर भगवान शिव के मंदिर में जाएं और उनका अभिषेक करें।
– माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
– शिवलिंग पर चंदन से लेप करें और अबीर गुलाल चढ़ाएं।
– भगवान शिव और माता पार्वती से सुख समृद्धि की प्रार्थना करें और मनोकामनाएं मांगें।
रंगभरी एकादशी का महत्व
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रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था और इसी दिन माता पार्वती का गौना हुआ था। इसलिए यह दिन धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही यह एक उत्तम अवसर है भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने का, जिससे सुख समृद्धि मिलती है।
रंगभरी एकादशी के अलावा, इस दिन से ही काशी में होली का पर्व आरंभ होता है, जो अगले 6 दिनों तक चलता है। इसलिए यह एक आनंदमय और धार्मिक पर्व है जो समाज में खुशियों का संचार करता है।