सुमित कुमार ठाकुर के पिता, जो स्कूली वैन चलाते हैं, ने बच्चों को आदित्यपुर से स्कूल और वापस लाने का कार्य निभाते हुए अपने परिवार का सार्थक सहयोग किया है।

आईएएस अधिकारी बनने का सपना:

सुमित ने बताया कि उनके पिताजी कम मेहनत में परिवार का चलान-पलन करते थे, लेकिन उनके सपने को देखते हुए उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की। इसमें उनकी हिम्मत और मेहनत ने उन्हें यूपीएससी में ओल इंडिया रैंक 263 तक पहुंचाया।

दुआरा मुकाबला:

पहली बार 2019 में फेल होने के बावजूद, सुमित ने हार नहीं मानी और 2021 में अपने मेहनत और संघर्ष के फलस्वरूप आईएएस अधिकारी बने।

शिक्षा का सफर:

सुमित ने रामकृष्ण मिशन बिष्टुपुर से मैट्रिक की पढ़ाई की, फिर राजेंद्र विद्यालय से इंटर की पढ़ाई की और BIT सिंदरी से कंप्यूटर साइंस में एडमिशन लिया।

उद्यमप्रेणुर भी बने:

सुमित ने यामाहा टीसीएस और मेक लाइन जैसी कंपनियों में नौकरी के बावजूद, उन्होंने अपनी स्टार्टअप कंपनी बनाई, जिसने कोरोना काल में कई एप्लिकेशन्स विकसित किए।

परिवार की खुशी:

सुमित की इस कामयाबी से उनके परिवार ने अपनी खुशी जताई है, कहते हैं कि सुमित ने मेहनत और संघर्ष से ही इस मुकाम तक पहुंचा है।

राज्य का गर्व:

सुमित की इस सफलता से निर्मित, नहीं सिर्फ परिवार बल्कि पूरे झारखंड राज्य को भी गर्व महसूस हो रहा है, क्योंकि उन्होंने अपने क्षेत्र में अद्वितीयता का परिचय किया है।

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